• Rashtravaani Hindi Pathmala 1
नई राष्ट्रीय शिाा नीति के अनुसार संर्पूा देश के प्राथमिक विद्यालयों में हिंदी को एक अनिवार्य विषय के रूप में मायता दी गई है ताकि बचा आरंभ से ही हिंदी भाषा में रुचि ले। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंाालय ने देश के प्राथमिक विद्यालयों की पाठ्य पुस्तकों में एकरूपता लाने पर विशेष बल दिया और साथ ही बचों के सर्वांगीा विकास को अपना चरम लय माना। राष्ट्रीय शैçाक अनुसंधान और प्रशिाा परिषद द्वारा पारित विद्यालयी शिाा के लिए राष्ट्रीय केंद्रिक बिंदुओं के आधार पर हमने राष्ट्रवाणी' नामक नवीन पुस्तक-शृंखला का प्रकाशन किया है, जिसमें ‘राष्ट्रवााी’निम्नलिखित पुस्तकें हैं

1. राष्ट्रवाणी (प्रवेशिका)
2. राष्ट्रवाणी (भाग 1 से 5 तक)
उपर्युत नवीन पुस्तक-शृंखला की प्रमुख विशेषताएँ
  • भाषायी योयता के विकास में बचों को सहायता देने एवं लाभ पहुँचाने के लिए क्रमिक सोपानों में पाठों की सुव्यवस्थित योजना तैयार की गई है।
  • पाठ्य सामग्री एवं विषय-वस्तु का आधार ‘सरल से कठिन’ तथा ‘ से आात’ होने से बचों में जिाासा एवं अभिरुचि का सुंदर समवय स्थापित किया गया है।
  • कविता, कहानी, चिाकथा, एकांकी, जीवनी, लेख, निबंध, संस्मरा, पा, डायरी, वार्तालाप आदि पाठों के सुव्यवस्थित योजना-क्रम में बचों की रुचि के अतिरित उनके सर्वांगीा विकास को भी यान में रखा गया है।
  • ‘राष्ट्रवााी’ पुस्तक शृंखला में जीवन-मूल्यों और नैतिक मूल्यों को पारंपरिक उपदेशामक शैली में न देकर भाषा की विभिन विधाओं के रूप में प्रस्तुत करके उहें और अधिक ग्राह्य एवं रोचक बनाया गया है।
  • कविता-पाठ, समूह-गान, संवादामक लेख तथा एकांकी आदि द्वारा बचों की मौखिक अभिव्यति के विकास में क्रमिक सुधार लाया जा सकता है। इसके साथ ही उनकी आंतरिक प्रतिभा, जैसेगायन, वाचन, अभिनय-कला भी विकसित होगी।
  • भाषा-शिाा में विभिन विषयों से संबंध जोड़ने की अधिकाधिक संभावनाएँ रहती हैं। इसी का भरपूर प्रयोग करते हुए हमने बचों के सर्वांगीा विकास के लिए अपनी इस पुस्तक शृंखला में सभी प्रकार के पाठ्य विषयों का चयन किया है।
  • भारतीय संस्कृति का ाान, ऐतिहासिक तथा धार्मिक वस्तुओं की समुचित सुराा, विभिन पर्व एवं उनका महव, सामाजिक सहयोग, पारस्परिक सद्भाव, कर्तव्य-पालन, अनुशासन, समय-पालन आदि आंतरिक संस्कारों को विकसित करने वाले पाठों का हमने समावेश किया है।
  • प्रकृति-प्रेम, सौंदर्य-बोध, पर्यावरा-सजगता, प्राçाजगत की जानकारी, जीव माा के प्रति दया व प्रेम, सर्वधर्म-समवय की भावना इयादि को पुष्ट करने के लिए इस शृंखला में विभिन रोचक पाठों का समावेश किया गया है।
  • बचों में देश-प्रेम, राष्ट्रीय एकता, याग-बलिदान, साहस, वीरता एवं स्वाभिमान की भावना जागृत करने के लिए भी इस शृंखला में कहानी-कविता आदि के अतिरित चिाकथाओं को भी सम्मिलित किया गया है।
  • महापुरुषों की जीवनी तथा उनके प्रेरक प्रसंग बचों में ‘महान बनने’ और ‘कुछ करने’ की प्रेराा भर देते हैं।
  • इनके अतिरित स्वास्य के प्रति जागरूकता, नारी-शिाा तथा उनका सम्मान, खेल तथा खेल-भावना, आधुनिक तकनीकी शिाा संबंधी जानकारी, वैाानिक दृष्टिकोा के विकास आदि जीवन-मूल्यों को समृद्ध करने वाले पाठ ‘राष्ट्रवााी’ शृंखला की सारगर्भिकता को प्रकट करते हैं।
HSN
490110

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