राष्ट्रीय शिक्षा नीति और इसके अनंतर उच्च प्राथमिक स्तर की पाठ्यचर्या की अवधारणा मेंयह स्पष्ट किया गया है कि बच्चों के सर्वांगीण विकास में भाषायी योग्यताओं- ‘सुनना, बोलना,पढ़ना और लिखना’ का विकास किया जाना चाहिए। अब यहाँ यह प्रश्न उठता है कि बच्चों मेंपढ़ने की रुचि का विकास कैसे किया जाए? अनेक शोधों एवं अनुभवों से यह बात सिद्ध होचुकी है कि बच्चों को कहानियाँ सुनना या पढ़ना अत्यधिक रुचिकर है। इन्हें वे पूरी तन्मयता सेसुनते और पढ़ते हैं। अतएव निष्कर्ष यह निकला कि बच्चों में पढ़ने की रुचि को विकसित करनेके लिए कहानियों की पूरक पुस्तक सबसे अधिक प्रभावी तथा उपयोगी सिद्ध होगी।
इसी तथ्य को दृष्टि में रखते हुए प्रस्तुत पूरक पुस्तक- शृंखला ‘नूतन कथा कलिका’ भाग1-8 की रचना की गई है।

इस पुस्तक-शृंखला की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं 
  • बच्चों में मानवीय गुणों, यथा पशु-पक्षियों के प्रति प्रेम व सहानुभूति, बंधुत्व, भाईचाराआदि, का विकास।
  • स्वदेश-प्रेम, सहिष्णुता, आत्म-गौरव, संवेदनशीलता, प्रेम, करुणा, परोपकार तथा निःस्वार्थसेवा जैसे चारित्रिक गुणों का उन्नयन।स।
  • बच्चों की तार्किक शक्ति का विकास। ताकि वे सही-गलत का निर्णय स्वयं लेने मेंसक्षम हो सकें।
  • नकारात्मक मानवीय प्रवृत्तियों, यथा लालच, स्वार्थ, बदला लेने की भावना, पर अंकुश।
  • बच्चों में वैज्ञानिक सोच का विकास।
  • बच्चों की कल्पना शक्ति का विकास।
  • बदलते परिवेश के साथ सामंजस्य करने की क्षमता का विकास।
  • मन को एकाग्रचित्त करके शांतिपूर्ण ढंग से पठन-क्षमता का विकास।
  • त्वरित (प्रत्युत्पन्नमतित्व) बुद्धि का विकास।

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Nootan Katha Kalika Part 2

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